देवी भगवती माँ दुर्गा की उपासना का पर्व है ‘नवरात्र’। सनातन सभ्यता में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है । उपासना की ये विधि देवी माता के नौ स्वरूपों को साक्षी रखकर नौ दिनों में सम्पन्न होती हैं।
वैसे तो नवरात्रों का उत्सव पूरे भारत में मनाया जाता है,मगर कोलकाता -पश्चिम बंगाल के साथ ही सम्पूर्ण उत्तर भारत में नवरात्रों की विशेष रौनक होती है।

नवरात्रों की महिमा भी अनोखी है । ऐसा देखा गया है कि इन पावन दिनों में माता के प्रसिद्ध धामों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है, सबकी अपनी अपनी मनोकामनाएँ यथा-योग्यता पूरी भी अवश्य होती हैं ।

नवरात्रों पे कन्या पूजन की विशेष महिमा होती है । कुंवारी कन्याओ को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की है । उनका शृंगार किया जाता है । भेंट समर्पित की जाती हैं ।

दुर्गा पंडालों में साज सज्जा देखने लायक होती है । सभी अपने परिवारों के साथ पंडालों में दर्शन करते हैं ।

देखा जाय तो इस पूरे आयोजन में पैसे का फ़्लो पूरे समाज में हो जाता है । बाजारों में आवा-जाही बढ़ जाती है । समाज का हर तबका इस उत्सव में भागीदार बन जाता है । क्यूंकी कहीं न कही समाज आपस में एक दूसरे पर ही तो निर्भर होता है।

जैसे एक माली फूल बेचता है सजावट का काम करता है । एक मूर्तिकार मूर्तिया तैयार करता है । पेंटर उसमें रंगरोगन का काम करता है ।टेंट वाला पंडाल लगाता है । इस काम में कई सारे लेबर लगते हैं उन सबकी रोजी रोटी इससे चलती है । माइक वाला , d j वाला , गाडियों से सवारी ढोने वाले , माल ढोने वाले , पंडित ,कपड़े सिलने वाले ,साफ सफाई वाले ,मिठाई वाले ,मेले में बच्चों के खिलौने इत्यादि बेचने वाले ,सारे आयोजनों में लगने वाले सामानों को बेचने वाले । इन सबको इस तरह से फायदा होता है और अर्थव्यवस्था के लिए ये आयोजन एक नई जान फूंकता है ।