MANGAL MURTI GANESHA
जी आइए गणेश उत्सव (गणेश चतुर्थी) के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से हिंदी में जानें:-
गणेश उत्सव क्या है?
गणेश उत्सव भगवान गणेश जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू पर्व है। इसे गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। यह भाद्रपद मास (अगस्त–सितंबर) की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
गणेश जी का महत्व
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता (विघ्न दूर करने वाले) और शुभारंभ के देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनके पूजन से ही की जाती है। उन्हें बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता भी कहा जाता है।
गणेश उत्सव की शुरुआत कैसे हुई?
- प्राचीन समय से लोग गणेश चतुर्थी घर में मनाते थे।
- लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने आज़ादी की लड़ाई के समय (1893 में) इस पर्व को सार्वजनिक रूप से मनाना शुरू किया।
- इसका उद्देश्य अंग्रेज़ों के खिलाफ जनता को एकजुट करना था।
- तब से यह उत्सव महाराष्ट्र और फिर पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाने लगा।
गणेश उत्सव कैसे मनाया जाता है?
- गणेश प्रतिमा स्थापना – लोग घरों और पंडालों में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करते हैं।
- पूजा और आरती – रोज़ाना मंत्र, भजन, और आरती की जाती है।
- मोडक का प्रसाद – गणेश जी को मोदक और लड्डू अत्यधिक प्रिय हैं।
- भजन–कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम – जगह-जगह भक्ति गीत, नाटक, नृत्य और सामूहिक आयोजन होते हैं।
- विसर्जन – 1 दिन, 5 दिन, 7 दिन या 10 दिन बाद गणेश जी की प्रतिमा विसर्जन की जाती है। अंतिम दिन को अनंत चतुर्दशी कहते हैं। विसर्जन के समय नारा लगता है –
👉 “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ!”
कहां सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध है?
- महाराष्ट्र (मुंबई, पुणे)
- गोवा
- कर्नाटक
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- गुजरात
- साथ ही अब उत्तर भारत और विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
गणेश उत्सव का संदेश
- समाज में एकता और भाईचारा बढ़ाना।
- बुराइयों और विघ्नों को दूर कर जीवन में शुभारंभ करना।
- पर्यावरण की रक्षा हेतु आजकल इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमा का चलन बढ़ा है।
👉 संक्षेप में: गणेश उत्सव सिर्फ धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मेल-मिलाप का भी प्रतीक है।
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